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*अखण्ड क्षत्रिय कुमावत समाज मेवाड़ प्रतिनिधि महा सम्मेलन का आयोजन हुआ*

*अखण्ड क्षत्रिय कुमावत समाज मेवाड़ प्रतिनिधि महा सम्मेलन का आयोजन हुआ*

राशमी (चित्तौड़गढ़) संवाददाता कैलाश चन्द्र सेरसिया

राशमी अखंड क्षत्रिय कुमावत समाज मेवाड़ का ऐतिहासिक प्रथम सर्व चौकी चौखला प्रतिनिधि महा सम्मेलन का आगाज मातृकुंडिया में कुमावत समाज सर्वे चौखला के सत्यनारायण भगवान मंदिर प्रांगण में सामाजिक एकता गायत्री यज्ञ एवं कुमावत समाज मेवाड़ एकता संगोष्ठी आयोजन के साथ हुआ। जिसमें मेवाड़ के नाथद्वारा,राजसमंद,भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ निंबाहेड़ा और उदयपुर कुमावत समाज सभी 25 चौकी चोखला के प्रतिनिधि कमेंटी कार्यकारणी सदस्यों ने भाग लिया। जिसमें सर्व सहम्मति से कुमावत समाज मेवाड़ की एक जाजम बनाने का प्रस्ताव पारित किया और 125 सदस्यों को प्राथमिक रूप से चयनित करके मेवाड़ कुमावत समाज में एक नई अभूतपूर्व ऐतिहासिक पहल महा सम्मलेन से हुई।
कुमावत समाज को संपूर्ण मेवाड़ में संगठित करके सामाजिक एकता, अखंडता और समृद्धि के मार्ग पर लाने पर गहन विचार मंथन किया गया। 
 महासम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष युधिष्ठिर बबेरीवाल ने कहा कि क्षत्रिय कुमावत समाज एक प्रगतिशील , सामाजिक कुरीतियां को त्याग कर निरंतर सामाजिक सुधार करने वाला शाखा है जिसके पूर्वजों ने महत्वपूर्ण किलों, महलों, मंदिरों एवम अद्भुत स्थापत्य शिल्प निर्माणों के साथ ही युद्ध कौशल, चित्रकारी, मूर्ति कला, भवन निर्माण, पुल सड़क निर्माण , कृषि सहित व्यवसायिक कार्यों मै भी दक्षता से कार्य करते हुए स्वावलंबन के साथ अपनी राष्ट्रीय सामाजिक निर्माता कि पहचान बनाई और आज संपूर्ण भारत में कुमावत समाज निवास कर रहा है।
मेवाड़ कुमावत समाज की एकता पर बोलते हुए कहा कि अब मेवाड़ कुमावत समाज जागृति के साथ एकजुट हुआ है और स्वतंत्र रूप से अपना राजनैतिक समर्थन केवल उन्हीं पार्टियों को देगा जो समाज को प्रतिनिधित्व और आत्म सम्मान देगी।
अखण्ड ज्योत यात्रा मित्र मंडल के एडवोकेट भरत बबेरीवाल, घनश्यामलाल पटवा, बालूलाल कुंडलवाल, भंवरलाल देवाल, गणेशलाल पत्रकार, महेंद्र अजमेरा, नारायण आदि का सम्मान किया गया।
आयोजन के दूसरे दिन रूणपंछौर चौकी के अध्यक्ष सुन्दरलाल दोराया सहित समस्त प्रतिनिधियों ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराकर महासम्मेलन का उद्घाटन किया। महासम्मेलन की अध्यक्षता प्रभु श्री राम से करवाई गई । तथा मुख्य अतिथि भारतीय कुमावत क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष युधिष्ठिर कुमावत थे,साथ ही रूणपछौर चौकी अध्यक्ष सुन्दरलाल दोराया, मंत्री नारायणलाल पडियार, बामणिया चौकी अध्यक्ष कालूराम, मांगीलाल सुखाया, रामचन्द्र बातरा, मुरलीधर, हीरालाल, एवं मदारिया चौकी महामंत्री लच्छीराम जललाणिया, कोषाध्यक्ष फतहलाल सरिया, महासभा राजसमंद जिलाध्यक्ष भैरूलाल भदाणिया, चित्तौड़गढ़ से विकास संस्थान के अध्यक्ष बालकिशन गेंडर, महामंत्री राजकुमार बैरा, महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोपाल ओस्तवाल, राष्ट्रीय जन गणना मंत्री घनश्याम लाल घटेलवाल, मीडिया प्रभारी संदीप घोडेला, महासभा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि पन्नालाल इंठारा, जयदीप शिक्षण संस्थान निर्देशक डॉ देवेंद्र इंठारा धनेश्वर चौखला महामंत्री गोपाल पनोतया , महादेव गलवा चौकी के बंशीलाल घटोला बंशीलाल डुंगरवाल, बागोलिया चौखला के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सरपंच भंवर लाल देवाल, पंचायत समिति सदस्य राधेश्याम घोड़ाया, चिकसि के गोपाल दंबीवाल, अनिल, निंबाहेड़ा 11 गांव चौखला के सत्यनारायण, उदय लाल, नाथद्वारा से पूर्व कीर्तनिया समाज अध्यक्ष मोती लाल मंडलियां, देवाली पंचायत अध्यक्ष भागचंद बातरा, मण्डी पंचायत अध्यक्ष महेंद्र निगस वाल, पूर्व नवयुवक मण्डल अध्यक्ष परमानंद नंगरिया, शिक्षक मनोज नंगारिया, जितेंद्र तुनीवाल, मेवाड़ के सभी जिलों से समाज के प्रशासनिक अधिकारी, पंचायत समिति सदस्य, पंच सरपंचों, शिक्षा अधिकारी, शिक्षक, ग्राम पंचायत पंचायतों के पंच पटेल,नवयुवक, मातृ शक्ति सहित समाज के वरिष्ठ प्रबुद्धजन उपस्थित थे। 
संयोजक भरत कुमावत ने बताया की महासम्मेलन में कुमावत समाज के इतिहास में पहली बार मेवाड़ के सभी 25 चौकी चोखलो के प्रतिनिधि एक साथ एक जाजम मातृकुंडिया में इकट्ठा हुए और सामाजिक एकता यज्ञ योगाचार्य घनश्याम लाल पटवा के विशिष्ट सानिध्य में हुआ जिसमें मुख्य जजमान के रूप में बनास का ढाबा चौकी के रामचंद्र मोरा, बामणिया कला चौकी के कालूलाल, बागोलिया चौकले के उपाध्यक्ष भंवरलाल देवाल, नाथद्वारा के गणेशलाल पत्रकार, आमेट से भैरूलाल पत्रकार, सूरजपोल समाज के उपाध्यक्ष डूंगर सिंह, तानावती चौकी के अध्यक्ष पुष्करलाल, सर्वमंगला सहकारी महिला समिति की चंदा कुमावत सहित मेवाड़ समाज के गणमान्य प्रतिनिधियों ने सामाजिक एकता यज्ञ किया।
यज्ञ के पश्चात हुई मेवाड़ एकता संगोष्ठी में कुमावत समाज मेवाड़ की एकता अखंडता के लिए सभी विद्वानों ने विचार विमर्श किया और कुमावत समाज को एक जाजम पर आने की आवश्यकता उभर कर सामने आई।

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