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जगन्नाथ भगवान् श्री कृष्ण, श्री सुभद्रा ओर श्री बलराम जी का दर्शन पुरी में होता है। = श्री मोरारी बापू

जगन्नाथ भगवान् श्री कृष्ण, श्री सुभद्रा ओर श्री बलराम जी का दर्शन पुरी में होता है। = श्री मोरारी बापू

बिजयनगर (रामकिशन वैष्णव) 
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू  ने  श्री जगन्नाथ पुरी धाम में चल रहे सत्संग में बताया कि एक बार भगवान् श्रीकृष्ण की महारानियों ने माता देवकी से भगवान की बाललीला सुनने की इच्छा व्यक्त की। माता देवकी ने कहा श्रीकृष्ण की बाललीला गोकुल और वृंदावन में हुई, मैं वहां नहीं थी। श्रीबलरामजी की मां रोहिणी देवी वही थी, वह सुना सकती है। तब भगवान् श्रीकृष्ण की महारानियों ने श्रीरोहिणी देवी से कहा कि- हमें भगवान् की गोकुल लीला और वृंदावन लीला सुनने की इच्छा है। महारानी रोहिणी ने कहा बहुत अच्छी बात है। भगवान् की कथा सुनने सुनाने वाले का मंगल होता है। भगवान् की वृजलीला में सभी रसों की लीला है, जिसमें श्रृंगार रस की लीला भी है। सुभद्रा भगवान् श्रीकृष्ण की छोटी बहन है। कई ऐसी कथा है जो छोटी बहन के सामने कहना अच्छा नहीं लगेगा, अगर सुभद्रा बाहर जाये तो कथा होगी। सुभद्रा देवी ने स्वीकार कर लिया और यह भी स्वीकार कर लिया कि- जब तक कथा सम्पूर्ण नहीं होगी तब तक हम किसी को भीतर भी नहीं आने देंगे। महल में भगवान की समस्त महारानियां विराजमान है, पूरा परिवार विराजमान है, रोहिणी देवी ने कथा सुनना प्रारंभ किया। भगवान की गोकुललीला, भगवान की वृंदावन लीला और वृंदावन में रासलीला आदि की कथा बड़ी श्रद्धा से सुनाया। भगवान सुधर्मा सभा में विराजमान थे। भगवान के भक्तों की चर्चा कथा में चल रही थी। भगवान का मन आकृष्ट हुआ और भगवान भी आ गये। सुभद्रा जी महल के द्वार पर विराजमान थी, उन्होंने कहा अभी कथा चल रही है मां का आदेश है अभी कोई भीतर नहीं जायेगा। तब भगवान श्री सुभद्रा जी के एक बगल में विराजमान हो गये। दूसरी तरफ दाऊजी महाराज विराजमान हो गये। भगवान के लाडले, प्यारे, दुलारे ब्रज के भक्तों की कथा सुन करके भगवान श्रीकृष्ण, श्रीबलरामजी और श्रीसुभद्राजी का चिन्मय विग्रह द्रवीभूत हो गया।तीनों सरकार के हाथ पैर ही लम्बे हो गये, तब तक देवर्षि नारद जी का आगमन हुआ और महल में कथा भी संपन्न हो गयी। भगवान जब चेतन हुये तब नारद जी ने कहा प्रभु आपका यह स्वरूप आंखें विशाल हो जाना, मुख भी लंबा हो जाना, तीनों सरकार का स्वरूप ऐसा हुआ है। भगवान ने कहा यह स्वरूप भक्तों की कथा सुनकर के हुआ है, भक्तों के प्रेम बस हुआ है, यह स्वरूप जगन्नाथ के नाम से जाना जायेगा। यही झांकी श्रीजगन्नाथपुरी में विराज होगी। हम आप इसी झांकी का दर्शन श्रीजगन्नाथ पुरी में करते हैं।  जगन्नाथ भगवान श्रीकृष्ण,
श्रीसुभद्रा और श्रीबलरामजी का दर्शन पुरी में होता है।यही इस विग्रह की पौराणिक कथा है। जिसका विशद वर्णन भगवान् व्यास ने श्रीब्रह्ममहापुराण में किया है। इस दौरान श्री दिव्य सत्संग आयोजक व व्यवस्थापक श्री घनश्यामदास जी महाराज सहित श्रद्धालु मौजूद थे। 


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