भगवान् शंकर जी में बर्फ, जल वाष्प यह तीनों रुप दिखाई पड़ते है। = श्री मोरारी बापू
शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023
बिजयनगर (रामकिशन वैष्णव)श्री श्री 1008 श्री महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने संगीतमय
श्रीशिवमहापुराण कथा ज्ञानयज्ञ जो श्री मंशापूर्ण हनुमान मंदिर सेक्टर नंबर 2, 3 तलवंडी कोटा (राजस्थान) में चल रही है में बताया कि जल हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है, जल ही जीवन है। परन्तु इसके तीन रूप हैं, बर्फ पानी और वाष्प। भगवान शंकर में यह तीनों रूप दिखाई पड़ता है। पहला बर्फ, भगवान शंकर कैलाश पर विराजते हैं, वहां बर्फ बहुत है व दुसरा जल रूप, जल उनके सिर से निरंतर प्रवाहित होता है, वस्तुतः जब भगवान शंकर क्रोध करते हैं, तो समुद्र, नदी,सरोवर ताल-तलैया का जल उबालने लगता है और वाष्प बना, आवश्यकता पड़ने पर बरसात होती है जिससे बाग बगीची हरियाली होती है। भगवान शंकर के दो नेत्र सूर्य और चंद्र के समान हैं।एक धरती को गर्म करने के लिए है, दूसरा धरती को बरसात कर शीतल करने का काम करता है। कथा में श्री दिव्य सत्संग आयोजक व व्यवस्थापक श्री घनश्यामदास जी महाराज व संत्सग मंडल पदाधिकारी सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।




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