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भगवान् के चरणों में निष्काम भाव से पूजा अर्चना करनी चाहिए= संत श्री अमृत राम जी।

भगवान् के चरणों में निष्काम भाव से पूजा अर्चना करनी चाहिए= संत श्री अमृत राम जी।

गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव)स्थानीय कुबेर कॉलोनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथा वाचक रामस्नेही संत अमृत राम जी महाराज ने अपने मुखारविंद से कथा का वाचन करते हुए कहा कि कर्म का अर्थ कर्तव्य ही है, 
श्रीमद् भागवत कथा का जो मुख्य धर्म है मुख्य सिद्धांत है 
निष्काम भाव से भगवान के चरणों में प्रेम करना निष्काम भाव से प्रीति करना है, 
भगवान के चरणों से प्रेम करना यही सबसे बड़ा धर्म है , 
धर्म का अर्थ ही मोक्ष की प्राप्ति है एंव संसार की वस्तु की कामना नहीं होना चाहिए । 
कोई भी व्यक्ति मंदिर में जाकर  पूजा अर्चना करवाता है तो सकाम भावना नहीं होनी चाहिए , 
हमेशा भगवान के श्री चरणों में निष्काम भाव से ही पूजा अर्चना करनी चाहिए । कथा में
इस दौरान केडी मिश्रा, रामपाल जोशी, सुभाष चंद्र जोशी ओम प्रकाश आचार्य, सत्यनारायण अग्रवाल, कृष्ण गोपाल त्रिपाठी, 
अरविंद सोमानी, कुबेर कॉलोनी शिव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष फतेह लाल काठेड सहित 
सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु जन मौजूद थे। कथा में महाआरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया गया‌। 

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