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श्री राम कथा में श्री मोरारी बापू ने भगवती पार्वती व भगवान् शंकर का मंगलमय चरित व आध्यात्मिक अभिप्राय की विस्तृत विवेचना की गई।

श्री राम कथा में श्री मोरारी बापू ने भगवती पार्वती व भगवान् शंकर का मंगलमय चरित व आध्यात्मिक अभिप्राय की विस्तृत विवेचना की गई।

गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग 
महामहोत्सव नवदिवसीय श्रीरामकथा ज्ञानयज्ञ में
कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्रीरामकथा में भगवती पार्वती एवं भगवान शंकर का मंगलमय चरित एवं उसका आध्यात्मिक अभिप्राय की विस्तृत विवेचना करते हुए बताया कि
भगवान् शंकर विश्वास एवं मां पार्वती श्रद्धा है। पर्वतराज हिमाचल की मां भगवती जब पुत्री बनती हैं पुत्री तब पार्वती कहलाती हैं। उसके पहले वह दक्ष की पुत्री हैं। तब सती कहलाती है। दक्ष कहते हैं चतुर को। चतुर की बुद्धि में कभी-कभी तर्क आ जाता है। वह तर्क अगर कुतर्क का रूप ले ले- तो फिर उसको आग में जलन ही पड़ता है। अगर तर्क जिज्ञासा का रूप ले करके श्रद्धा और विश्वास की शरण में चला जाये तो फिर वह तर्क, वह जिज्ञासा परमात्मा से मिला दिया करती है। परमात्मा तर्क का विषय नहीं है। विज्ञान की कसौटी में ईश्वर को कसा नहीं जा सकता। जिस लाइट के माध्यम से नेत्र रूप देखते हैं, वे नेत्र लाइट को स्वयं नहीं सकते हैं। इसी तरह से जिस बुद्धि के द्वारा हम संसार के विषयों का निर्णय करते हैं, जिनकी शक्ति पाकर मन संकल्प- विकल्प करता है, यह मन और यह बुद्धि, यह तर्क उस ईश्वर के विषय में स्वयं जानकारी नहीं रखते। कथा में इस दौरान सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, मधुसूदन मिश्रा, कैलाश सोनी, इत्यादि श्रद्धालु मौजूद थे।

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