रावतभाटा में परमाणु आपदा प्रबंधन अभ्यास सफल, कमियों को दूर करने पर दिया जाएगा जोर
शनिवार, 30 अगस्त 2025
चित्तौड़गढ़, 29 अगस्त ( कैलाश चंद्र सेरसिया)। राजस्थान परमाणु बिजलीघर रावतभाटा में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की देखरेख में शुक्रवार को बड़े स्तर पर परमाणु एवं रेडियोलॉजिकल आपातकालीन स्थिति का अभ्यास किया गया। यह देश में इस प्रकार का दूसरा सबसे बड़ा अभ्यास था। अभ्यास के उपरांत दोपहर तीन बजे फीडबैक सत्र शुरू हुआ, जो शाम छह बजे के बाद तक चला।
इस दौरान चार सेक्टरों में बंटे पर्यवेक्षक दलों और अधिकारियों ने राजस्थान व मध्यप्रदेश के पांच जिलों के 22 गाँवों में जाकर किए गए निरीक्षण की जानकारी साझा की। उन्होंने आपदा प्रबंधन कार्यवाही के दौरान सामने आई चुनौतियों और कमियों पर विस्तृत चर्चा की।
गांधी सागर क्षेत्र का निरीक्षण करने वाले पर्यवेक्षक संजय माथुर ने बताया कि ग्रामीणों को पहले से पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई थी, न ही एक्सेस कंट्रोल और शेल्टर की व्यवस्था की गई। रावतभाटा से गांधीसागर तक की सड़क की खराब स्थिति भी बड़ी समस्या बनी। इसी तरह एसडीएम गरोठ ने मेडिकल स्टाफ और ग्रामीणों तक जानकारी के अभाव को मुख्य कमी बताया।
*तकनीकी और चिकित्सा दृष्टिकोण से सुझाव*
बीएआरसी के वैज्ञानिक आर. बी. के. यादव ने कहा कि 22 किमी रेडियस के अंदर रहने वाले सभी आयु वर्ग के लोगों की समूहवार जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने सप्लाई चैन और कम्युनिकेशन सिस्टम को और मजबूत बनाने पर जोर दिया। ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल जाटव ने बताया कि डेमोग्राफी डेटा मात्र 10 मिनट में उपलब्ध कराया गया, जो योजना अनुसार रहा।
*अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं*
एसडीएम रावतभाटा डॉ. कृति व्यास ने कहा कि इंसिडेंट कमांडर के निर्देशन में छह प्रमुख गतिविधियों को समय पर सुनिश्चित किया गया। अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं इंसिडेंट कमांडर विनोद कुमार मल्होत्रा ने बताया कि केवल 25 दिन की तैयारी में इतने बड़े अभ्यास को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। कोटा की अतिरिक्त आयुक्त ममता तिवारी ने कहा कि यह एक बेहतरीन शुरुआत रही, हालांकि गांवों की लोकेशन को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति रही, जिसे आगे हर छह माह में अपडेट किया जाएगा।
*परमाणु संयंत्र प्रबंधन के विचार*
राजस्थान परमाणु बिजलीघर के स्थल निदेशक शरत कुमार ने कहा कि संयंत्र और ऑफसाइट दोनों स्तरों पर अभ्यास नियमित होते हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर पहली बार आयोजन हुआ है। जो कमियां सामने आई हैं, उन्हें दूर किया जाएगा।
एनडीआरएफ कमांडेंट सुरेंद्र सिंह ने बताया कि परमाणु बिजलीघर सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है, इसीलिए सुरक्षा उपाय लगातार जारी रहने चाहिए।
केंद्र निदेशक एवं इमरजेंसी साइट डायरेक्टर डी. सुब्बाराव ने कहा कि अगले छह महीने में सभी गांवों में विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।
*एनडीएमए की टिप्पणी*
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मेजर जनरल ए.के. वर्मा ने कहा कि यह अभ्यास सभी विभागों और एजेंसियों के सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। उन्होंने सुझाव दिया कि रेडियोलॉजिकल आपदा की स्थिति में बर्न हॉस्पिटल, बेसिक एम्बुलेंस और फायर फाइटिंग सिस्टम में पानी व फोम की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि अगले वर्ष पुनः बड़ा अभ्यास किया जाएगा, जबकि इससे पहले काकरापार में एक अभ्यास आयोजित होगा।
फीडबैक सत्र में एसडीएम नीमच, एडीएम मंदसौर, एसडीआरएफ कमांडेंट एकता हाड़ा, तहसीलदार रामगंज मंडी नेहा वर्मा, तहसीलदार लाडपुरा कोटा, 11वीं एनडीआरएफ कमांडेंट सहित कई अधिकारियों ने भी अपने विचार साझा किए।