भगवान्, कर्मा बाई की बनाई हुई खिचड़ी खाने स्वयं प्रकट होकर ग्रहण करते थे।= श्री दिव्य मोरारी बापू
गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023
गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव में श्री भक्तमाल कथा, भक्त चरित्र, सात दिवसीय नरसी भगत की कथा एवं नानी बाई का मायरा में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्रीनरसीजी भगत की कथा नानी बाई का मायरा एवं भक्त चरित्र पर विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि श्री नरसी जी संपूर्ण संसार में प्रसिद्ध भक्त हुए। जिन्होंने गुजरात प्रांत को पवन किया। उस समय गुजरात के निवासी महास्मार्त थे, भक्ति-भजन को बिल्कुल नहीं जानते मानते थे। छाप और कंठी तिलकधारी किसी वैष्णव को देखकर उसकी बड़ी निंदा करते थे। ऐसे देश-कुल एवं वायुमंडल में उत्पन्न होकर भी श्रीनरसीजी वैष्णवभक्त शिरोमणि हुए। ऊसर के समान उस देश को सुंदर हरा भरा, भक्तिरस से परिपूर्ण सरोवर बना दिया। देश के दोषों को नष्ट कर दिया। आपने अनेक स्थानों पर भक्ति पूर्ण चमत्कार दिखलाये। जिसमें रस रीतियों का संपूर्ण रूप से संगम होता है। ऐसी माधुर्य-रसमयी भक्ति को आपने हृदय में धारण किया। कथा में श्री दिव्य मोरारी बापू ने भक्तचरित्र श्रीकर्माबाईजी कथा में कहा कि
एक भक्ताबाई थी उसका नाम कर्मा यह सुंदर नाम था। वह आचार विचार की रीति-भांति को नहीं जानती थी। परंतु अपने अपार वात्सल्य प्रेमबस नित्य प्रातःकाल खिचड़ी बनाकर
श्रीजगन्नाथजी को भोग लगती थी। श्री जगन्नाथ जी स्वयं प्रकट होकर बड़े प्रेम से भोजन करते थे। मंदिर में जितने भोग लगते थे, उसमें ऐसा स्वाद नहीं आता था, जैसा कि कर्माबाई की खिचड़ी में था। रामहिं केवल प्रेम पियारा।
जानि लेहु जो जाननिहारा। कथा में श्री दिव्य सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, विजय प्रकाश शर्मा, नंदलाल काबरा, सुभाष चन्द्र जोशी, रामेश्वर दास, मधुसूदन मिश्रा, रविशंकर उपाध्याय, जगदीश शर्मा, सहित श्रद्धालु मौजूद थे।