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ट्रस्ट द्वारा मंदिर में अगरबत्ती,नारियल व प्रसाद चढ़ाने पर रोक के निर्णय से श्रद्धालुओं में आक्रोश -फैसले को बताया धर्म विरोधी और आस्था से खिलवाड़

ट्रस्ट द्वारा मंदिर में अगरबत्ती,नारियल व प्रसाद चढ़ाने पर रोक के निर्णय से श्रद्धालुओं में आक्रोश -फैसले को बताया धर्म विरोधी और आस्था से खिलवाड़



बिजौलियां(जगदीश सोनी)।तिलस्वां महादेव मंदिर में दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिर में अगरबत्ती, नारियल व  प्रसाद चढ़ाने पर मन्दिर ट्रस्ट द्वारा लगाई गई रोक और मन्दिर क्षेत्र में प्रसाद की दुकानें बन्द किए जाने के  निर्णय को लोगों ने आस्था से खिलवाड़ और धर्म विरोधी बताते हुए नाराजगी जाहिर की हैं।ये पाबन्दी 15 जुलाई से लागू होगी।साथ ही इस फैसले को लेकर 15 जुलाई को ट्रस्ट द्वारा समीक्षा बैठक किए जाने की जानकारी भी सामने आई हैं।क्षेत्रवासियों ने ट्रस्ट के इस  तर्क को हास्यास्पद बताया  कि मुख्य मन्दिर के पीछे निर्मित देवरियों में स्थित छोटे-छोटे शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने से गंदगी फैलती हैं और अगरबत्तियों से प्रदूषण बढ़ता हैं।लोगों का कहना हैं कि ट्रस्ट के पास पर्याप्त आमदनी के साधन हैं।ऐसे में माकूल व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि  मन्दिर की स्वच्छता भी बरकरार रह सके और श्रद्धालुओं की भावनाओं को भी ठेस नहीं पहुंचे।प्रसाद विक्रेताओं ने बताया कि ट्रस्ट के इस निर्णय से  रोजी-रोटी छिनने से परिवार के गुजारे का संकट पैदा हो जाएगा।वहीं यह भी चर्चा हैं कि ट्रस्ट पदाधिकारियों और प्रसाद विक्रेताओं में चल रही खुन्नस को लेकर ये पाबन्दी लागू की गई हैं।जानकारी के मुताबिक तिलस्वां महादेव में किसी भी मनोकामना की पूर्ति को लेकर भक्तों द्वारा महादेव को नारियल चढ़ा कर अर्जी लगाई जाती हैं और सन्तान प्राप्ति की कामना से आने वाली महिलाओं द्वारा भी दो नारियल भगवान शंकर को अर्पित किए जाते हैं।जिनमें से पुजारी द्वारा एक नारियल महिला को वापस दिया जाता हैं।मान्यता हैं कि इस नारियल के सेवन से सन्तान प्राप्ति सम्भव होती हैं।लोगों का कहना हैं कि ट्रस्ट द्वारा नारियल चढ़ाने पर लगाई गई पाबन्दी  धर्म विरोधी होने के साथ ही भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़  और परेशानियां पैदा करने वाली भी हैं।वहीं लोगों ने ट्रस्ट के चुनाव करवाए जाने की मांग भी की हैं।

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