सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे दिव्य चातुर्मास सत्संग में श्री गणेश पूजन विधि के बारे में बताया गया!
शनिवार, 8 जुलाई 2023
गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास के पावन अवसर पर 'सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय' (भव्य-सत्संग)
श्रीमद् गणेश महापुराण कथा
ज्ञानयज्ञ (चतुर्थ-दिवस)में
कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्री गणेश महापुराण में
श्री गणपति जी की पूजा विधि पर विस्तार से वर्णन किया। संत श्री ने कहा कि गणपति का स्मरण अनिवार्य है। गणपति का सबसे बढ़िया मंत्र है- ' ऊँ गं गणपतये नमः ' जब जब देवताओं पर संकट आये हैं उन्होंने इसी मंत्र का जप किया है। संत सद्गुरु से प्राप्त कर इस मंत्र का जप करो। हर कार्य आपका निर्विघ्न होगा, मंगलमय होगा। ये याद न रहे तो ' ऊँ गणेशाय नमः' यह तो सरल है कम से कम एक माला प्रातः काल जरूर जपना चाहिए।संत श्री ने कहा कि शास्त्रों में लिखा है ' कलौ चंडी विनायकौ ' कलयुग में भगवती दुर्गा और भगवान् गणेश प्रत्यक्ष देवता है। कलियुग में इनका पहरा है। कहते हैं बच्चा गंदा पैदा हो, पैरालाइसिस हो, पोलियो हो। सब छोड़कर चले जायें, लेकिन मां नहीं छोड़ेगी। कलियुग में सबसे ज्यादा गंदे काम होते हैं। सबसे ज्यादा गंदे बच्चे पैदा होते हैं। गलत काम करना ही गंदगी है। सब देवता साथ छोड़ देते हैं। भगवती मां दुर्गा और गणपति ने कहा हम कभी नहीं छोड़ेंगे। कितने बड़े पापी क्यों न हो हम उनका उद्धार करेंगे।