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आईआईटीयन तिवारी ने दादी के बाहरवे पर मृत्यु भोज के बजाय परिजनों के साथ किया रक्तदान

आईआईटीयन तिवारी ने दादी के बाहरवे पर मृत्यु भोज के बजाय परिजनों के साथ किया रक्तदान


 भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी || सनातन काल से अपनों को खोने के गम में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मृत्युभोज की परंपरा है। मगर मृत्युभोज की जगह द्वादशी पर रक्तदान की अनूठी पहल भीलवाड़ा के एक परिवार के युवाओं ने की। इस नवाचार की सभी प्रशंसा कर रहे है। इस शिविर में परिवार के 15 जनों ने रक्तदान किया है। 

औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा में मंगलवार को यह अनूठा रक्तदान शिविर देखने को मिला। अपनी दादी सरला तिवारी के निधन पर उनके आईआईटीयन पौत्र दिविर तिवारी ने अपने पिता वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद तिवारी से सहमति लेकर दादी के बाहरवें द्वादशी के दिन मृत्यु भोज की जगह रक्तदान का सुझाव परिजनों के सामने रखा। सभी ने खुशी-खुशी पुनीत काम में सहमति दी। परिवार के बच्चों से लेकर वरिष्ठजन तक रक्तदान करने के लिए रक्तदान करने लगे।

आईआईटीयन दिविर तिवारी का कहना है कि अपनों के निधन पर मृत्यु भोज किया जाता है इससे किसी का भला नहीं होता है। मगर रक्तदान कर कर हम लोगों का समाज का भला कर सकते है इसलिए मैं सभी लोगों से अपील करूंगा कि किसी के भी निधन पर मृत्यु भोज की जगह ऐसे रक्तदान और दूसरे समाज सेवा के काम कीये जाए जिससे लोगों का भला हो और आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि मिल सके। पौत्र वधू कुमकुम तिवारी  ने कहा कि मेरी दादी सास का निधन हुआ जिसका द्वादशी पर आज कार्यक्रम रखा गया मगर मुझे लगता है कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने आज रक्तदान कर हमारी दादीसास को श्रद्धांजलि दी है। समाज के सभी वर्गों से अपील करती हूं वे मृत्यु भोज नहीं करके ऐसे काम करे जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का भला हो सके।

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