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ब्रह्मा ,विष्णु व शिव जी भगवान् भगवती दुर्गा का निरंतर ध्यान करते हैं। = श्री दिव्य मोरारी बापू

ब्रह्मा ,विष्णु व शिव जी भगवान् भगवती दुर्गा का निरंतर ध्यान करते हैं। = श्री दिव्य मोरारी बापू

 गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे  श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग 
महामहोत्सव में श्रीमद्देवीभागवत महापुराण 
ज्ञानयज्ञ कथा में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने बताया कि
 सर्वोपरि तत्त्व माँ भगवती है, 
श्रीमद्देवी भागवत महापुराण में ब्रह्मा जी ने बताया कि- भगवती ही सर्वोपरि तत्व है, उनसे ही हम सब पैदा हुए हैं। हमारी भी कोई माँ तो होगी? बिना माँ के पुत्र कैसे आ जाएगा? ब्रह्मा, विष्णु और महेश पुत्र हैं, इनकी भी कोई मां होगी? वह भुवनेश्वरी, भगवती त्रिपुर सुंदरी दुर्गा ही उनकी मां है। इसीलिए आरती में गया जाता है- तुमको निशदिन ध्यावत, हरि, ब्रह्मा, शिव जी।
ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी भगवती का निरंतर ध्यान करते हैं। एक सिंहासन बनाया गया था, जो बड़ा भव्य और दिव्य था। उस सिंहासन के चार पाए थे। वे पाये लकड़ी या सोने-चांदी के नहीं थे। ब्रह्मा ही एक पाया बनाकर बैठ गए,  विष्णु दूसरा पाया, रूद्र तीसरा पाया और ईश्वर चौथा पाया बन गये। उस पर सदाशिव लेट गए। उनका बिस्तर बन गया। अब इस सिंहासन पर जो बैठ जाए, वह सबसे बड़ा होगा। अब इस पर कौन सा-देवता बैठेगा? कोई नहीं आया। देवी भागवत में लिखा है कि- उस समय पराम्बा भगवती महामाया त्रिपुर सुंदरी दिव्य रूप धारण करके प्रकट हुई और आकर सिंहासन पर विराजमान हो गईं।अर्थात् भगवती के सिंहासन के पाए ब्रह्मा, विष्णु और शंकर हैं।पराम्बा  भगवती त्रिपुर सुंदरी जब सिंहासन पर बैठती हैं, तब लक्ष्मी और सरस्वती उन्हें पंखा झलती रहती हैं। मां भगवती सर्वोपरि तत्व हैं, इसीलिए कृष्ण से पहले राधा का स्मरण,  राम से पहले सीता का स्मरण और नारायण से पहले लक्ष्मी का स्मरण होता है। जो बड़ा है, उसका स्मरण पहले होता है। जैसे- सीता-राम, राधे-श्याम, लक्ष्मी नारायण। कथा में इस दौरान श्री दिव्य सत्संग मंडल आयोजक घनश्यामदास जी महाराज, सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, विजय प्रकाश शर्मा, सहित श्रद्धालु, गणमान्यजन मौजूद थे। 


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